स्त्री
सृजन मासिक संगोष्ठी 4 फरवरी
, 2018
अंतर्राष्ट्रीय
मातृ भाषा दिवस को समर्पित आज की संगोष्ठी में प्रतिभागी रचनाकारों ने अपनी - अपनी
मातृ भाषा में रचे जा रहे साहित्य पर संक्षिप्त चर्चा के साथ ही , उसकी बेहतरी के लिए
प्रतिबद्धता जाहिर की। शुरूआत सोनिया उपाध्याय की हिंदी कविताओं और क्षणिका से की।
बेहद सधे हुए अंदाज में सोनिया उपाध्याय ने अनैच्छिक शब्दों के व्यवहार में उतर
आने को बयां किया। वरिष्ठ डोगरी कथाकार कृष्णा प्रेम ने डोगरी में युग-युगांतर और
निर्मल विक्रम नें संतान कहानी पढी। दोनों ही कहानियां खूब सराही गईं। डा.
अंद्राबी ने कश्मीरी ने कश्मीरी और उर्दू में उम्दा नज्में पेश कीं । उपस्थित
साथियों ने जिन्हें मुक्त कंठ से सराहा। हाल ही में उन्हें साहित्य के लिए स्टेट
अवार्ड भी प्रदान किया गया है। वरिष्ठ साथी सुदेश राज एवं डा नीलम सरीन ने भी इस
अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ संप्रेषित कीं।
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